योग करो
ख़ुशी से जीना यदि
चाहते
शांति हृदय की सदा
खोजते
तन निरोग बने,
यदि मांगते
योग करो !
दूर अकेलापन करने
को
उर का खालीपन
भरने को
तन की हर पीड़ा
हरने को
योग करो !
अति समृद्धिशाली
होने को
दिल की हर कटुता
धोने को
नये स्वप्न मन
में बोने को
योग करो !
मैत्री का उपवन
खिलाने
जग को अपना मीत
बनाने
धार प्रीत की
मधुर बहाने
योग करो !
अद्वैत का स्वाद
हो लेना
उर सागर में गहरे
जाना
ध्यान सहज यदि
चाहो पाना
योग करो !
सच कहा है ... ध्यान लगाने में योग बहुत सहायक होता है ... पर ये ध्यान रखना आसान नहीं की योग करना है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ... सार्थक ...
आने वाले समय में योग का महत्व और भी बढ़ने वाला है
हटाएंयोग करो ...एक संदेश बहुपयोगी 👍
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अर्चना जी !
हटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
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