गुरुवार, अप्रैल 2

दुनिया बदल रही है


दुनिया बदल रही है 


दुनिया बदल रही है 
पुलिस पकड़ा रही है गुलाब 
आरती उतारती है 
टीका लगाती है माथे पर 
क्योंकि नहीं हुआ है टीकाकरण अभी तक कोरोना के खिलाफ 
गरीबों के प्रति अति संवेदनशील हो गयी हैं
 सरकारें और सामान्य जन भी 
खुल गए हैं लंगर और भोज.. 
दूर - दूर पांत में बिठाकर परोसा जाता है 
नेता और अभिनेता दे रहे हैं दान दिल खोल कर 
आज हर जीवन निर्भर है दूसरे के जीवन पर 
दान का महत्व, आज तक किताबों में पढ़ा था 
निर्धनों की सेवा का भाव कभी क्या मन में जगा था !

टीवी पर नहीं होती गलाफाड़ बहसें 
नहीं लगते आरोप-प्रत्यारोप एक-दूसरे पर 
कांग्रेसी और बीजेपीयन में भेद नहीं करता वायरस 
न हिन्दू और मुस्लिम में 
मिटता जा रहा है हर भेद अब 
खो गया है अतीत मानवता का 
ट्रम्प को चुनाव का भय नहीं सताता
भविष्य से रह गया है जैसे दूर का कोई नाता 

उतर गया है बच्चों के सिर से परीक्षा का बोझ 
खिल गए हैं उनके चेहरे, निखर आयी है सोच  
ज्ञान के प्रति सहज आकांक्षा जगी है 
रटकर कापी पर उगलने के लिए नहीं 
वे सीखने के लिए पुस्तकें खोलते हैं 
सुंदर कलाओं के माध्यम से महामारी के खिलाफ जंग छेड़ते हैं 
नदियों में मछलियाँ नहीं कुलबुलातीं 
पशु - पंछी मुक्त हैं.. सड़कों पर, मैदानों में 
खुले गगन में, जहाँ लोहे की मशीनें 
शोर करती हुईं नजर नहीं आतीं 

क्या वाकई बदल रही है दुनिया ! 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. स्वागत व आभार शास्त्री जी, आपको भी रामनवमी की शुभकामनायें !

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  2. एक डर, एक भय और एक संशय
    शायद दुनियाँ इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
    ईश्वर के कोप का भय न हो तो शायद लोग पूजा भी न करें ।
    साथ ही, किसी भूत के होने का डर न हो तो लोग बेखौफ कहीं भी, कभी भी घूमते नजर आएं।
    आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय ।

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    1. स्वागत व आभार ! हर भय को मिटाना है, हर बाधा का मुकाबला करना है पर सजगता और सतर्कतापूर्वक !

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