हर ख्वाहिश पे दम निकले 
सूची ख्वाहिशों की चुकने को नहीं आती
तुझसे मिलने की सूरत नजर नहीं आती 
या खुदा ! तू छुपा नहीं है लाख पर्दों में 
नजरें अपनी ही तेरी तरफ नहीं जातीं 
सच है कि तुझसे मिलने की तड़प थी दिल में 
पीछे मंशा क्या थी यह कही नहीं जाती 
तुझसे है जमाना यह जान भी तुझसे है 
जानकर भी खलिश दिल की कहीं नहीं जाती 
तेरी माया के जाल बड़े ही गहरे हैं 
उससे बचने की तदबीर भी नहीं आती 
जमाना 'वाह'  कह उठे इसी पे मरते हैं 
तेरी खामोश जुबां समझ में नहीं आती 
कभी दौलत कभी शोहरत को तवज्जो दी 
बर्बादी खुद की खुद को नजर नहीं आती

बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंक्या किया जाय 'तेरी खामोश जुबां समझ में नहीं आती',यही तो मजबूरी है.
जवाब देंहटाएंसमझने की कोशिश जारी रहे इतना ही काफी है शायद...स्वागत व आभार !
हटाएंबेहद खूबसूरत
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