भाव-अभाव
अभाव का काँटा जब तक चुभता रहेगा उर में
भाव की धारा क्यों कर बहेगी
जो ‘नहीं’ है ‘नहीं’ हो रहा है
उस पर ही नज़र टिकी रही तो
भय की कारा से छुट्टी क्यों कर मिलेगी
बाहर ही बाहर यदि मन को लगाया
तो पीड़ा और संताप दिखेगा
अंतर गुहा में पल भर बिठाया
तो श्रद्धा का फूल स्वयं खिलेगा
खंडित विश्वास, टूटती आस्था की नींव पर
नहीं टिकती भक्ति की इमारत
पूर्ण की चाह है तो पूर्ण हो भरोसा
तभी जीवन में सुरभि भरेगी !
पूर्ण की चाह है तो पूर्ण हो भरोसा
जवाब देंहटाएंतभी जीवन में सुरभि भरेगी !
सत्य एवं सारगर्भित रचना !!
स्वागत व आभार अनुपमा जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 08 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (8 -6-21) को " "सवाल आक्सीजन का है ?"(चर्चा अंक 4090) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअभाव की ज्वाला भाव को न निगल जाये कहां!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंवाह! अनुपम,सुंदर सृजन।👌🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंजब तक आस्था नहीं तब तक भक्ति की इमारत कैसे टिके ?
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना ।
पूर्ण की चाह है तो पूर्ण हो भरोसा
जवाब देंहटाएंतभी जीवन में सुरभि भरेगी !--बहुत खूबसूरत पंक्तियां हैं...।
वाह!बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसादर
"अंतर गुहा में पल भर बिठाया" .. सच्ची ! अगर हम अपने-अपने "अंतर गुहा" में ही बैठी अदृश्य शक्ति को पहचान लें, तो .. ना तो वहाँ किसी को बैठाने की नौबत आएगी और ना ही बाहरी मंदिरों में "गुहार" लगाने के लिए लम्बी कतारें लगाने की .. शायद ...
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधीजनों का ह्रदय तल से आभार!
जवाब देंहटाएंThis is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. Thank you so much for sharing this with us first kiss quotes
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जो ‘नहीं’ है ‘नहीं’ हो रहा है
जवाब देंहटाएंउस पर ही नज़र टिकी रही तो
भय की कारा से छुट्टी क्यों कर मिलेगी
और ये भय ही दुख का कारण बन सुख से वंचित कर रहा है
सुन्दर सीख देता बहुत ही लाजवाब सृजन
सही कहा आपने आस्था पूरी ही फलित होती है।
जवाब देंहटाएंसंशय जिस विश्वास के आस पास भी होता है वहां आस्था बेमानी है।्
छोटी पर सारगर्भित रचना।
पूर्ण की चाह है तो पूर्ण हो भरोसा
जवाब देंहटाएंतभी जीवन में सुरभि भरेगी !
सार्थक और सारगर्भित भावाभिव्यक्ति ।
सुधा जी, मीना जी व कुसुम जी, आप सभी का स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएंखंडित विश्वास, टूटती आस्था की नींव पर
जवाब देंहटाएंनहीं टिकती भक्ति की इमारत
पूर्ण की चाह है तो पूर्ण हो भरोसा
तभी जीवन में सुरभि भरेगी !
बहुत सुंदर सारगर्भित भावाभिव्यक्ति ...🙏
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