एक हँसी दिल में खिलती है
एक अगन भीतर जलती है
जला दें जाले पड़े जो मन
पर, हसरत यही मचलती है !
जला दें जाले पड़े जो मन
पर, हसरत यही मचलती है !
एक लगन भीतर पलती है
पार करें हर इक बाधा को,
मेधा भी तभी निखरती है !
पार करें हर इक बाधा को,
मेधा भी तभी निखरती है !
एक आस मन में बसती है
वैर मिटे आपसी दिलों से,
प्रकृति यह तभी सवंरती है !
वैर मिटे आपसी दिलों से,
प्रकृति यह तभी सवंरती है !
एक हँसी दिल में खिलती है
गहराई में मोती मिलते,
हर हलचल वहाँ ठहरती है !
गहराई में मोती मिलते,
हर हलचल वहाँ ठहरती है !
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (09-07-2021) को "सावन की है छटा निराली" (चर्चा अंक- 4120) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंएक हँसी दिल में खिलती है
जवाब देंहटाएंगहराई में मोती मिलते,
हर हलचल वहाँ ठहरती है
बहुत सुंदर अनीता जी | मन ही समस्त भावों का कारक है | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
एक लगन भीतर पलती है
जवाब देंहटाएंपार करें हर इक बाधा को,
मेधा भी तभी निखरती है !
सुन्दर सच।
एक लगन भीतर पलती है
जवाब देंहटाएंपार करें हर इक बाधा को,
मेधा भी तभी निखरती है !
बेहतरीन अभिव्यक्ति अनीता जी
एक आस मन में बसती है
जवाब देंहटाएंवैर मिटे आपसी दिलों से,
प्रकृति यह तभी सवंरती है !बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सुन्दर मनभावन भाव
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है आपकी अनीता जी। निस्संदेह!
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंअनमोल मोती सम ।
जवाब देंहटाएंहर छंद भावपूर्ण है ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है ...