जब याद कमल सर खिलता है
तू हर उस पल में मिलता है
जब याद कमल सर खिलता है,
नहीं अतीत न भावी में ही
दर्पण दर्शन का मिलता है !
मन जो नित भागा ही रहता
कही हुई को फिर-फिर कहता,
व्यर्थ कल्पना महल बनाए
इस पल में ना कभी झाँकता !
जिसके पीछे ही अनंत इक
अमन समंदर लहराता है,
उस पल का उर बने आवरण
जाने क्यों स्वयं को छल रहा !
काश ! इस पल को ही ध्यान में रख पाएँ ।
जवाब देंहटाएंअवश्य रख पाएँगे, मन में भाव होना चाहिए
हटाएंबहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंदर्पण दर्शन में मिलता है, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव प्रवण रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंरंजू जी, अनीता जी व जिज्ञासा जी, आप सभी का स्वागत व हृदय से आभार!
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