चाह या अनुभव
चाह यानी इच्छा
या कामना !
मोहित कर लेती है आत्मा को
जुट जाती है जो
उसे पूर्ण करने के प्रयास में !
हाथ लगता है एक और अनुभव
और हर अनुभव
कुछ न कुछ सिखाता है
कुछ रंग भरता
कुछ जोड़ता
कुछ तोड़ता भी है
हर अनुभव एक कदम
आगे ले जाता है
एवरेस्ट चढ़ने की चाह भी तो चाह है !
और पड़ोस की दुकान से
भीषण गर्मी में बर्फ
ख़रीद कर लाना भी
जीवन अनुभवों की
एक दीर्घ शृंखला ही तो है
जो जितने निर्दोष होते जाएँगे
आत्मा का द्वार खुलने लगेगा
उसको पाने की चाह में
फिर सिमट जाएँगी सब चाहें
केवल एक वही शेष रह जाएगी !
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