सच
छिपा होता है
सच स्वप्नों में भी
और दिखाई दे जाता है झूठ
हक़ीक़त में कभी
कितना सच है स्वप्न मृत्यु का
क्योंकि अवश्यंभावी है वह
और स्वप्न जान पड़ता है
उसके बाद का जीवन !
एक
दो मन एक सा सोचते हैं
दुनिया के दो हिस्सों में
क्योंकि आये हैं
एक ही स्रोत से
एक है उनका उद्देश्य
निर्धारित किया है
जो नियति ने
एक से शब्द निकलते हैं
मिलने पर मुख से मित्रों के कभी-कभी
क्योंकि एक है वाणी का स्रोत भीतर
हर शै एक ही ओर इशारा करती है
ख़ुशी का स्वाद एक है
जिसे लोग चखना चाहते हैं !
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