विश्व महिला दिवस पर
राह अब भी बहुत शेष है
बनने लगे हैं कितने ही बिंब
मन की आँखों के सम्मुख
छा जाते बन प्रतिबिंब
कौंध जाते कितने ही ख़्याल हैं
आख़िर यह विश्व की
आधी आबादी का सवाल है
ऐसा लगता है दुनिया
एक पहिये पर ही
आज तक चलती रही है
तभी शायद इधर-उधर
लुढ़क सी रही है
किंतु अब समाचार सुनें ताजे
घुट-घुट कर जीने के दिन गये
उठने लगी हैं आवाजें
उन्हें भी भागीदार बनाओ
बराबरी का हक़ दिलाओ
कम से कम जीने तो दो
बुनियादी अधिकारों को
अब बन रही है ऐसी दुनिया
जहाँ पक्षपात नहीं होगा
मौक़ा मिलेगा हरेक को
हुनर दिखाने का
सजग है आज की महिला
कि वह शक्ति का पुंज है
और होकर रहेगी वह
जो होना चाहती है
उसे अनुसरण मात्र नहीं करना है
अपने सपनों में स्वयं रंग भरना है
इसलिए आज का दिन विशेष है
पर राह अब भी बहुत शेष है
हाशिये पर खड़ी हैं अनगिनत महिलाएँ
वे भी आगे आयें, ताकि
युद्ध में झोंकी जा रही है जो दुनिया
फिर से हँसे और गुनगुनाए !
नारी का आत्म्सम्मान दिवस विशेष पर ही नहीं अपितु सदैव किया जाना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ मार्च २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी !
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत ही सकारात्मक और प्रेरक रचना प्रिय अनीता जी! यूँ तो महिलाओं का इतिहास सदैव करुणा और स्नेह का ही रहा है पर आज विसंगतियों में निश्चित रूप से उनकी भूमिका बहुत ही सार्थक हो सकती है क्योंकि उनके सर भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन देने का उच्च दायित्व है! महिला दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ 🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा है रेणु जी, महिलाएँ अपना उत्तरदायित्व निभाने के लिये निरन्तर प्रयास कर रही हैं
हटाएंसजग है आज की महिला
जवाब देंहटाएंकि वह शक्ति का पुंज है
और होकर रहेगी वह
जो होना चाहती है
उसे अनुसरण मात्र नहीं करना है
अपने सपनों में स्वयं रंग भरना है
बहुत सटीक... वाकई सजग है आज की महिला...
लाजवाब सृजन
सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु स्वागत व आभार सुधा जी !
हटाएंमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं अनीता जी
जवाब देंहटाएंमहिला की शक्ति और गरिमा को बयान करती सुन्दर और सार्थक रचना
स्वागत व आभार अभिलाषा जी !
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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