राजा
अनंत ब्रह्मांड में छोड़ दिये गये हैं
जिसके द्वारा हम
दिशाहीन से, उसके लिये
हित अपना साधना है
जहाँ लगता है
पूरी आज़ादी है
लेकिन एक सीमा में
ऐसे में वही एक आश्रय है
किसी एक को तो आगे आना होगा
एक सम्राट की तरह
रास्ता दिखाना होगा
गउएँ भी हों तो
चरवाहे की ज़रूरत है
एक नेता जो दिशा दे
ट्रैफ़िक चलाता सिपाही जैसे
कक्षा चलाता है जैसे एक शिक्षक
देश चला सकता वही
बन सके जो रक्षक
उसे आशीर्वचन और शुभकामनाएँ दें
सबल हों, बल उसका बनें
काम हर देशवासी करे
उसकी शक्ति बने
तो सभी हैं सुरक्षित
जैसे सभी अंग हों स्वस्थ
तो बनता है व्यक्ति सबल
जो राष्ट्र को चलाता है
आगे ले जाता है
नई राह दिखाता है
दिशा देता है
जीवन ऊर्जा को
वह नायक है
उसका स्वार्थ यही है कि
वह हमारे स्वार्थों की पूर्ति में
सहायक है !
बढ़िया
जवाब देंहटाएंएक लंबे समय के बाद स्वागत व आभार वंदना जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 23 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
हटाएंराजा है राजकाज है सर पर चमक रहा ताज है
जवाब देंहटाएंराजा के हाथ में लाठी भी है गउऐ ही है आज है |
वाह ! काव्यात्मक और विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार !
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंजय हो ... ये मोदी जी हैं लगता है ... पर जो भी हो नायक ऐसा ही होना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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