विजय माल कौन पहनेगा
अबकी बार चार सौ पार
चला यह नारा बारम्बार,
लोकतंत्र के भवसागर से
यही करेगा बेड़ा पार !
दुनिया देख रही भौंचक्की
बना चुनाव एक त्योहार,
नेताओं का बड़बोलापन
शब्दों की दुधारी तलवार !
कितना झूठ हक़ीक़त कितनी
चाहे परखना हर पत्रकार,
किंतु अजब पहेली इसकी
कोई न पाये पारावार !
दिवस-रात्रि एक कर डाले
सोना-जगना भी दुश्वार,
अब जाकर आराम मिला है
जब से पकड़ी थी रफ़्तार !
छुपा हुआ है इवीएम में
राज बना चुनाव का रार,
विजय माल कौन पहनेगा
किसको मिली करारी हार !
बधाई ४०० पार भवसागर पार
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार आपको भी बधाई !
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएं