शनिवार, अगस्त 10

बरबस प्यार जगाये कोई

बरबस प्यार जगाये कोई


जीवन बँटता ही जाता है 

पल-पल याद दिलाये कोई, 

किसकी राह खड़े ताकते 

मधुर पुकार लगाये कोई !


अपनी-अपनी क़िस्मत ले कर 

कोकिल और काग गाते हैं, 

दोनों के ही भीतर बसता 

बरबस प्यार जगाये कोई !


नदिया दौड़ी जाती देखो 

सागर से मिलने को आतुर, 

उर मतवाला मिटना चाहे 

एक पुकार लगाये कोई !



8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 12 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत सुन्दर रचना।

    समुंदर के खारेपन में भी कुछ तो बात है जो नदियों का मीठापन भी सागर से मिलने को आतुर होती।

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    1. सही है रूपा जी, सागर का खारापन अनंत जीवन धारण करता है

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  3. "...
    जीवन बँटता ही जाता है
    पल-पल याद दिलाये कोई
    ..."

    कई दफा जीवन में इसकी आवश्यकता पड़ती है।

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