स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ
गगन रंगा केसरिया आज
प्रकृति भी फहराये तिरंगा,
माटी का इक खंड नहीं है
भारत भू है दिल धरती का !
देश आज आगे बढ़ता है
बाधायें कितनी भी आएँ,
क़ुर्बानी देकर जो पायी
आज़ादी नव स्वप्न दिखाए !
सागर की धुर गहराई हो
या अंतरिक्ष की ऊँचाई,
देश-विदेश भारतीयों ने
प्रतिभाओं की अलख जगायी !
माना अभी राह लंबी है
विकसित होने में भारत के,
इकजुट होकर पूर्ण करेंगे
स्वप्न सभी भारतीय मिल के !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवंदेमातरम्।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी !
हटाएंस्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएं"...
जवाब देंहटाएंमाटी का इक खंड नहीं है
भारत भू है दिल धरती का !
..."
मातृत्व प्रेम का प्रदर्शन। बहुत सुन्दर।
स्वागत व आभार !
हटाएंसचमुच अगर सभी भारतीय अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें तो हमारे देश को विकसित राष्ट्र बनने से कोई रोक नहीं सकता।
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक रचना। बहुत बधाई दीदी।