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सोमवार, मई 15
कोई राग छिपा कण-कण में
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कोई राग छिपा कण-कण में पाहन में ज्यों छिपी अगन है उर भावों में छिपी तपन है, कस्तूरी सी महके भीतर, घट-घट में जो बसी लगन है ! को...
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