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सोमवार, जून 3

अपने आप

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अपने आप सुबह आँख खुलते ही झलक जाता है संसार भीतर   कानों में गूँजती है कोयल की कूक हवा का स्पर्श सहला जाता है गाल को आहिस...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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