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शुक्रवार, अक्टूबर 4

जब कभी भारी हो मन

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जब कभी भारी हो मन जब कभी भारी हो मन लगे, न जाने कैसा बोझ रखा है मन पर कारण कुछ भी हो....तब यही सोचना होगा शायद पूर्व के संस्क...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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