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सोमवार, जुलाई 28

अंश

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अंश  सुबह-सुबह जगाया उसने  कोमलता से,  छूकर मस्तक को, जैसे माँ जगाती है  अनंत प्रेम भरे अपने भीतर  याद दिलाने, तुम कौन हो ? उसी के एक अंश  उ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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