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सोमवार, अगस्त 14

कान्हा तेरे नाम हजारों

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कान्हा तेरे नाम हजारों जब नभ पर बादल छाये हों वन से लौट रही गाएँ हों , दूर कहीं वंशी बजती हो  पग में पायलिया सजती हो ! मोर...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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