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रविवार, अक्टूबर 24

जब उर अंधकार खलता है

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जब उर अंधकार खलता है  जगमग शिखि समान तब कोई  सुहृद सहज आकर मिलता है   पूर्ण हुआ वह राह दिखाता नहीं अधूरापन टिकता है  अविरल बहे काव्य की धारा...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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