मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
सोमवार, नवंबर 12
“इक काव्य रचा जाता है पल पल इस सृष्टि में “
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“ इक काव्य रचा जाता है पल पल इस सृष्टि में “ जाने कहाँ से आ रही खुशबू रुहानी सी ! तन मन डुबोए जा रही खुशबू सुहानी सी ! ...
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शुक्रवार, नवंबर 9
सब घटता है सहज यहाँ
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सब घटता है सहज यहाँ रात ढली, दिन उगा बोलो किसको श्रम हुआ, हवा बही सुरभि लिए बोलो किसने दाम दिए ! शिशु जन्मा, पांव चला क...
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सोमवार, नवंबर 5
हर जगह है हाथ कोई
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हर जगह है हाथ कोई बेसुरी न बांसुरी हो शहद जैसी माधुरी हो, जिंदगी यह कीमती है ज्यों कमल की पाँखुरी हो ! प्रीत सुर भीतर जगे...
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शनिवार, नवंबर 3
कवि मुकेश का कविता संसार -खामोश ख़ामोशी और हम में
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खामोश ख़ामोशी और हम के अगले कवि हैं, श्री मुकेश कुमार तिवारी . मध्य प्रदेश के निवासी मुकेश जी पेशे से इंजिनियर हैं,कविता व व्यंग्य लेखन ...
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