मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

सोमवार, नवंबर 12

“इक काव्य रचा जाता है पल पल इस सृष्टि में “

›
“ इक काव्य रचा जाता है पल पल इस सृष्टि में “ जाने कहाँ से आ रही खुशबू रुहानी सी ! तन मन डुबोए जा रही खुशबू सुहानी सी ! ...
7 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, नवंबर 9

सब घटता है सहज यहाँ

›
सब घटता है सहज यहाँ रात ढली, दिन उगा बोलो किसको श्रम हुआ, हवा बही सुरभि लिए बोलो किसने दाम दिए ! शिशु जन्मा, पांव चला क...
17 टिप्‍पणियां:
सोमवार, नवंबर 5

हर जगह है हाथ कोई

›
हर जगह है हाथ कोई बेसुरी न बांसुरी हो शहद जैसी माधुरी हो, जिंदगी यह कीमती है ज्यों कमल की पाँखुरी हो ! प्रीत सुर भीतर जगे...
22 टिप्‍पणियां:
शनिवार, नवंबर 3

कवि मुकेश का कविता संसार -खामोश ख़ामोशी और हम में

›
खामोश ख़ामोशी और हम के अगले कवि हैं, श्री मुकेश कुमार तिवारी . मध्य प्रदेश के निवासी मुकेश जी पेशे से इंजिनियर हैं,कविता व व्यंग्य लेखन ...
9 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.