मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
बुधवार, जुलाई 15
लद्दाख – धरा पर चाँद धरा - भाग २
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लद्दाख – धरा पर चाँद धरा २९ जून शाम के पौने आठ बजे बजे हैं. हमारी आज की यात्रा पूर्ण हो चुकी है. सुबह पांच बजे नींद खुल गयी...
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मंगलवार, जुलाई 14
लद्दाख – धरा पर चाँद धरा भाग-१
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लद्दाख – धरा पर चाँद धरा २८ जून २०१५ आज सुबह सात बजे हम दोनों लेह पहुंच गये थे. कल दोपहर सवा बारह बजे घर से निकले थे, धूप तेज...
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बुधवार, जुलाई 8
धरती और आकाश गा रहे
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धरती और आकाश गा रहे अब हमने खाली कर डाला अपने दिल की गागर को, अब तुझको ही लाना होगा इसमें दरिया, सागर को ! अब न कोई सफर शे...
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गुरुवार, जून 25
अपने ही घर में जो बैठा
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अपने ही घर में जो बैठा इतने बड़े जहाँ में अपना नहीं ठिकाना बन पाया, टूट के सबसे खुद को ढूँढा सबको खुद में ही पाया ! प...
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गुरुवार, जून 18
वही एक है
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वही एक है एक मधुर धुन वंशी की ज्यों एक लहर अठखेली करती, एक पवन वासन्ती बहकी एक किरण कलियों संग हँसती ! एक अश्रु चरणों ...
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बुधवार, जून 17
मंजिल और रस्ता
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मंजिल और रस्ता लगता है यूँ सफर की .. आ गयी हो मंजिल या यह भी इक ख्याल ही निकलेगा दिलों का यूँ ही चले थे उम्र भर मंजिल पे...
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शुक्रवार, जून 12
राहे जिंदगी में
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राहे जिंदगी में न तू है न मैं बस एक ख़ामोशी है इश्क की राह पर यह कैसा मोड़ आया न ख्वाहिश मिलन की न विरह का दंश राहे जिंदगी में...
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बुधवार, जून 10
आषाढ़ की एक रात
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आषाढ़ की एक रात बरस बरस दिन भर पल भर विश्राम लेते बादल ठिठक गये हैं अम्बर पर अँधियारा छाया है नीचे ऊपर बेचैन होंगे चाँद,...
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सोमवार, जून 8
रौशनी का दरिया
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चलना है बहुत पर पहुँचना कहीं नहीं किताबे-जिंदगी में आखिरी पन्ना ही नहीं घर जिसे माना निकला पड़ाव भर सितारों से आगे भी है एक न...
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शुक्रवार, जून 5
विश्व पर्यावरण दिवस पर शुभकामनायें
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विश्व पर्यावरण दिवस पर शुभकामनायें रोज भोर में चिड़िया जगाती है झांकता है सूरज झरोखे से पवन सहलाती है दिन चढ़े कागा पाहुन ...
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बुधवार, जून 3
नई नकोर कविता
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नई नकोर कविता बरसती नभ से महीन झींसी छू जाती पल्लवों को आहिस्ता से ढके जिसे बादलों की ओढ़नी झरती जा रही फुहार उस अमल अम्बर ...
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बुधवार, मई 27
कुछ भूली-बिसरी यादें
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कुछ भूली-बिसरी यादें लंबा, छरहरा कद, गेहुँआ रंग, फुर्तीला तन और आवाज में युवाओं का सा जोश. ऐसे हैं माथुर अंकल ! जब भी आंटी के साथ ...
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