मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

बुधवार, अप्रैल 17

पत्ते उड़ा दिए पुरवा बन

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पत्ते उड़ा दिए पुरवा बन   टूट गया सुख स्वप्न, सत्य ने जैसे ही पलकें खोलीं, अंगडाई ले जागी कविता शब्दों में सुवास घोली ! ...
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सोमवार, अप्रैल 15

सुरमई शाम ढली

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सुरमई शाम ढली खग लौट चले निज नीड़ों को भरकर विश्वास सुबह होगी ! बरसेगा नभ से उजियारा फिर गगन परों से तोलेंगे, गुंजित...
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गुरुवार, अप्रैल 4

राह पर मन की गुजरते

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राह पर मन की गुजरते आज जीलें अभी जीलें जो कल कभी आया नहीं , जिन्दगी ने गीत उसके सुर साज पर गाया नहीं ! सुख समाया इस घड़ी...
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मंगलवार, अप्रैल 2

माया की माया

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माया की माया जो देख सकती है, वह आँख नहीं जानती भले-बुरे का भेद जो देख नहीं सकती, वह आत्मा   सब जानती है, फिर भी गिरती है गड्ढ...
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शुक्रवार, मार्च 29

इस उमंग का राज छुपा है

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इस उमंग का राज छुपा है  जाने क्यों दिल डोला करता नहीं किसी को तोला करता, जब सब उसके ही बंदे हैं भेद न कोई भोला करता ! ...
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गुरुवार, मार्च 28

जीवन मधुरिम काव्य परम का

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जीवन मधुरिम काव्य परम का फिरे सहज श्वासों की माला मन भाव सुगंध बने, जीवन मधुरिम काव्य परम का इक सरस प्रबंध बने ! जग...
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बुधवार, मार्च 27

दूर कोई गा रहा है

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दूर कोई गा रहा है कौन जाने आस किसकी किस बहाने आँख ठिठकी   प्रीत की गागर बना दिल बेवजह छलका रहा है ! चढ़ हवाओं के प...
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शुक्रवार, मार्च 22

झर-झर झरता वह उजास सा

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झर-झर झरता वह उजास सा   कोई पल-पल भेज सँदेसे   देता आमन्त्रण घर आओ ,  कब तक यहाँ वहाँ भटकोगे   मस्त हो रहो , झूमो , गाओ ! ...
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मंगलवार, मार्च 19

अगन होलिका की है पावन

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अगन होलिका की है पावन बासंती मौसम बौराया मन मदमस्त हुआ मुस्काया , फागुन पवन बही है जबसे अंतर में उल्लास समाया ! रंगों...
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मंगलवार, मार्च 12

बिखरा दूँ, फिर मुस्का लूँ

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बिखरा दूँ ,  फिर मुस्का लूँ  खाली कर दूँ अपना दामन जग को सब कुछ दे डालूँ ,   प्रीत ह्रदय की , गीत प्रणय के बिखरा दूँ , फि...
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शनिवार, मार्च 9

सत्यमेव जयते

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सत्यमेव जयते कहा जा रहा है जो भी कहा जाना चाहिए न ही छिपा है और न ही थमा है हो रहा है विरोध जो किया जाना चाह...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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