मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
शनिवार, मार्च 30
कुछ दिन गुजरात में
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कुछ दिन गुजरात में सूरत हमारी यात्रा कल सुबह प्रारंभ हुई जब साढ़े आठ बजे गुड्डू (पुत्र)की भेजी कार हवाई अड्डे ले जाने के लिए आ गई थी। उसने ...
बुधवार, मार्च 27
जीना है जीवन भूल गए
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जीना है जीवन भूल गए जब संसार सँवारा हमने मन पर धूल गिरी थी आकर, जग पानी पी-पी कर धोया मन का प्रक्षालन भूल गए ! नाजुक है जो, जरा ठेस से ...
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सोमवार, मार्च 25
जीवन बँटता ही जाता है
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जीवन बँटता ही जाता है झोली भर-भर कर ले जाओ चुकता कब उसका भंडारा, चमत्कार यह देख न पाये जग नूतन चाह जगाता है ! जीवन बँटता ही जाता है ! ...
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गुरुवार, मार्च 21
होली के रंगों में जाने
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होली के रंगों में जाने सभी भाव जल गये द्वेष के मन उजले-उजले हो आये , जिस पर फिर प्रियतम ने आकर मदिर अबीर-गुलाल लगाये ! निखर गये हैं रूप...
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सोमवार, मार्च 18
गहराई में जा सागर के
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गहराई में जा सागर के हँसना व हँसाना यारों अपना शौक पुराना है, आज जिसे देखा खिलते कल उसको मुरझाना है ! जाने कब से दिल-दुनिया ख़ुद के द...
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बुधवार, मार्च 13
जीवन
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जीवन इतनी शिद्दत से जीना होगा जैसे फूट पडती है कोंपल कोई सीमेंट की परत को भेदकर, ऊर्जा बही चली आती है जलधार में चीर कर सीना पर्वतों का य...
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गुरुवार, मार्च 7
राह अब भी बहुत शेष है
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विश्व महिला दिवस पर राह अब भी बहुत शेष है बनने लगे हैं कितने ही बिंब मन की आँखों के सम्मुख छा जाते बन प्रतिबिंब कौंध जाते कितने ही ख़्य...
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बुधवार, मार्च 6
अपना-अपना स्वप्न देखते
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अपना-अपना स्वप्न देखते एक चक्र सम सारा जीवन जन्म-मरण पर जो अवलंबित, एक ऊर्जा अवनरत स्पंदित अविचल, निर्मल सदा अखंडित ! एक बिंदु से शुरू ...
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सोमवार, मार्च 4
पराधीनता
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पराधीनता उस दिन वह बहुत रोयी थी, आँगन में बैठकर ज़ोर से आवाज़ निकालते हुए, जैसे कोई उसका दिल चीर कर ले जा रहा हो। शायद उसकी चीख में उन तमाम...
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शनिवार, मार्च 2
शुरू हुआ मार्च का मार्च
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शुरू हुआ मार्च का मार्च यह नव ऋतु के आगमन का काल है जब पकड़ ढीली हो गई है जाड़ों की अंगड़ाई ले रही हैं नई कोंपलें वृक्षों की डालियों पर ...
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