वर्षों पूर्व लिखी यह कविता आज स्मरण हो रही है. विजय दिवस पर सभी को शुभकामनायें !
कारगिल
कारगिल
बन गया भारत का
दिल !
हैं रक्तरंजित
घाटियाँ
गोलियों की गूँज
बन हुँकारता
आज घायल शेर सा
दहाड़ता
पर्वतों की
चोटियाँ ज्वलित हुईं
हिमशिलायें बनी
शिखा जल उठीं !
कारगिल
बन गया जन-जन का
दिल !
आज डेरा वीर जन
का
यज्ञ स्थल अपने
वतन का
रात-दिन इसको
समर्पण
अदम्य शक्ति का
प्रदर्शन
शत्रु हन्ता ! शत्रु बेधक !
कारगिल
बना हुआ वीर
मंजिल !
कोटि-कोटि प्राण
इसमें
पर्वतों के संग
हँसते
निर्झरों के साथ
बहते
स्वर्ग भूमि पर
यह कहते
शत्रु माने और
जाने
कारगिल, न होगा हासिल !
स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंनमन है मेरा कारगिल के शहीदों को ... सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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