बुधवार, जनवरी 29

श्रम


श्रम 

लगभग पचास मीटर लंबी 

मोटी हौज़ पाइप लिए 

डालता जाता है 

हर विला के बगीचे में जल 

कहीं कहीं गमलों की क़तारें हैं 

कहीं घास के लॉन और छोटे-बड़े पेड़ 

देता है सहयोग 

घर-घर जा हरियाली जीवित रखने में 

ग्रीष्म और सर्दियों के मौसम में 

बरसात में ज़रूरत नहीं होती अक्सर 

वह सोचती है 

जब भी उसे देखती है 

झुक गये कंधे पर 

लिपटी हुई भारी सी पाइप

 रखे आते 

सुकून से भरा है उसका वृद्ध चेहरा 

सुबह से शाम हो जाती है 

हर लेन में हर घर में 

जाते-जाते उसे 

कभी वह उसे कुछ देती है तो 

मुस्कुरा कर स्वीकारता है और 

हरे कोट की जेब में रख लेता है 

जीवन कितने लोगों के 

श्रम से चलता है ! 


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