चलो उगा दें चांद प्रीत का
चलो झटक दें हर उस दुःख को, जो तुमसे मिलने में बाधक
चाहो तो तुम्हें अर्पण कर दें, बन जाएँ अर्जुन से साधक !
चलो उगा दें चाँद प्रीत का, तुमसे ही जो करे प्रतिस्पर्धा
चाहो तो अंजुरी भर-भर दें, भीतर उमग रही जो श्रद्धा !
चलो गिरा दें सभी आवरण, गोपी से हो जाएँ खाली
उर के भेद सब ही खोल दें, रास रचाएं संग वनमाली !
फिर उपजेगा मौन अनोखा, जिससे कम की मांग व्यर्थ है
प्रश्न सभी खो जायेंगे तब, आत्म मिलन का यही अर्थ है !
क्रांति घटेगी उगेगा सूरज, भीतर सोया जब जागेगा,
परम खींचता हर पल सबको, आत्म क्षितिज तब रंग जायेगा !
वाह अनीता जी गज़ब कर दिया …………जब इस अवस्था मे आ जायेगा तब ही स्वंय को पा जायेगा……………बेहद सशक्त और शानदार प्रस्तुति अन्तर्मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंफिर उपजेगा मौन अनोखा, जिससे कम की मांग व्यर्थ है
जवाब देंहटाएंप्रश्न सभी खो जायेंगे तब, आत्म मिलन का यही अर्थ है !और
इस अनोखे मौन को गूंगे के गुड़ की तरह बयान नही किया जा सकता.
बहुत अच्छी लगीं।
जवाब देंहटाएंवाह ...कितने सुंदर रंग हैं ....!!
जवाब देंहटाएंचलो उगा दें चाँद प्रीत का
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई ||
चलो उगा दें चाँद प्रीत का, तुमसे ही जो करे प्रतिस्पर्धा
जवाब देंहटाएंचाहो तो अंजुरी भर-भर दें, भीतर उमग रही जो श्रद्धा !
बहुत सुन्दर ...
चलो गिरा दें सभी आवरण, गोपी से हो जाएँ खाली
जवाब देंहटाएंउर के भेद सब ही खोल दें, रास रचाएं संग वनमाली !
बहुत ही गहन सारगर्भित अभिव्यक्ति...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..
चलो झटक दें हर उस दुःख को, जो तुमसे मिलने में बाधक
जवाब देंहटाएंचाहो तो तुम्हें अर्पण कर दें, बन जाएँ अर्जुन से साधक !अच्छी रचना....
क्रांति घटेगी उगेगा सूरज, भीतर सोया जब जागेगा,
जवाब देंहटाएंपरम खींचता हर पल सबको, आत्म क्षितिज तब रंग जायेगा !
बहुत ही उत्कृष्ट रचना और बहुत खूबसूरत भाव.
रांति घटेगी उगेगा सूरज, भीतर सोया जब जागेगा,
जवाब देंहटाएंपरम खींचता हर पल सबको, आत्म क्षितिज तब रंग जायेगा
बेहतरीन कविता।
सादर
फिर उपजेगा मौन अनोखा, जिससे कम की मांग व्यर्थ है
जवाब देंहटाएंप्रश्न सभी खो जायेंगे तब, आत्म मिलन का यही अर्थ है !
बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति क्या कहें वाह वाह ....
बहुत ही प्यारी कल्पना है। बधाई स्वीकारें अनीता जी, इस सुंदर कविता के लिए।
जवाब देंहटाएंशायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।
कोशिश तो यही जारी है अनीता जी पर शायद माया का बंधन मजबूत है आसानी से नहीं टूटता |
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