जीवन में भर दिया सवेरा
जब-जब तुझे पुकारा दिल ने
छुपा हुआ था वहीं कहीं तू,
उस पुकार में ही दब जाती
होगी, तेरी मंद गुफ्तगू !
जब-जब सुख के पीछे दौड़े
सुखस्वरूप तू वही कहीं था,
उसी दौड़ से दूर निकल गए
क्या तू तब धीरे से हँसा था !
जब-जब अहंकार जगाया
तूने ही तो चूर किया था,
तुझसे दूर चले हम जाएँ
यह तुझको मंजूर नहीं था !
जब-जब भय का दानव जागा
सम्बल से तू ने ही भरा था,
हद से बढ़ी कामना जब-जब
दुःख देकर अज्ञान हरा था !
पल-पल भीतर जाग रहा था
जब-जब अलस प्रमाद ने घेरा
खींच-खींच
कर रहा जगाता
जीवन में भर दिया सवेरा !
पल-पल भीतर जाग रहा था
जवाब देंहटाएंजब-जब अलस प्रमाद ने घेरा
खींच-खींच कर रहा जगाता
जीवन में भर दिया सवेरा !.....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
सुन्दर........
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर............
खींच-खींच कर रहा जगाता
जवाब देंहटाएंजीवन में भर दिया सवेरा !
bahut sundar ...
atmavishwas se bhari ...amoolya kriti ...!!
पल-पल भीतर जाग रहा था
जवाब देंहटाएंजब-जब अलस प्रमाद ने घेरा
खींच-खींच कर रहा जगाता
जीवन में भर दिया सवेरा !
....बिलकुल सच....वह तो हमारे आसपास ही होता है, हम ही समझ नहीं पाते...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जीवन में भर दिया सवेरा ..छू न पाए कभी अँधेरा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
बहुत बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती लेखनी
जवाब देंहटाएंजब-जब अहंकार जगाया
जवाब देंहटाएंतूने ही तो चूर किया था,
तुझसे दूर चले हम जाएँ
यह तुझको मंजूर नहीं था !
वाह..वाह...वाह...बेजोड़ रचना
नीरज
जब-जब अहंकार जगाया
जवाब देंहटाएंतूने ही तो चूर किया था,
तुझसे दूर चले हम जाएँ
यह तुझको मंजूर नहीं था !
प्रभु अपने भक्तों को सही मार्ग पर चलाता है ... सुंदर रचना
जब-जब अहंकार जगाया
जवाब देंहटाएंतूने ही तो चूर किया था,
तुझसे दूर चले हम जाएँ
यह तुझको मंजूर नहीं था !
सुन्दर और शानदार ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं।