जाने कब फिर मिलना हो
कुछ तुम कह दो, कुछ हम सुन लें
कलियों का कब खिलना हो
जाने कब फिर मिलना हो !
चंद श्वास लेकर आये थे
कुछ ही शेष रही हैं जिनमें,
कहीं अधूरा न रह जाये
किस्सा, हम तुम मिले थे जिसमें !
तुम झाँकों मेरे नयनों में
फुरसत ऐसी कल ना हो,
जाने कब फिर मिलना हो !
कितने संगी चले जा चुके
अभिनय करते थके थे शायद,
मंच कभी खाली न हुआ यह
स्मृतियाँ भी खो जाती अक्सर !
पलकों को न बंद करो तुम
जाने किस पल चलना हो
जाने कब फिर मिलना हो !
जितना साथ मिला सुंदर था
इक-दूजे में झलक भी पायी,
स्वप्नों में वह छिपी न रहती
जग कहता है जिसे खुदाई !
हाथ थाम लो पल भर को तुम
अधरों का कब सिलना हो
जाने कब फिर मिलना हो !
जाने कब मिलना हो.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनीता जी...
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.......
जवाब देंहटाएंकितने संगी चले जा चुके
जवाब देंहटाएंअभिनय करते थके थे शायद,
मंच कभी खाली न हुआ यह
स्मृतियाँ भी खो जाती अक्सर !
bahut khoobsurat kavita.
कितने संगी चले जा चुके
जवाब देंहटाएंअभिनय करते थके थे शायद,
मंच कभी खाली न हुआ यह
स्मृतियाँ भी खो जाती अक्सर !
बहुत ही सुन्दर कविता....सच कल का क्या भरोसा ।
बहुत उत्कृष्ट भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...आभार
जवाब देंहटाएंकितने संगी चले जा चुके
जवाब देंहटाएंअभिनय करते थके थे शायद,
मंच कभी खाली न हुआ यह
स्मृतियाँ भी खो जाती अक्सर !
पलकों को न बंद करो तुम
जाने किस पल चलना हो
जाने कब फिर मिलना हो !
कितना सच कहा है ………जाने कब फिर मिलना हो………अति सुन्दर प्रस्तुति।
bahut hi sundar rachna ..............aabhar
जवाब देंहटाएंकितने संगी चले जा चुके
जवाब देंहटाएंअभिनय करते थके थे शायद,
मंच कभी खाली न हुआ यह
स्मृतियाँ भी खो जाती अक्सर !
सच कहा है आपने अनीता जी क्या भरोसा इस जीवन का... जाने कब फिर मिलना हो... सुन्दर प्रस्तुति...
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
जवाब देंहटाएं~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
*****************************************************************
उम्दा लेखन, बेहतरीन अभिव्यक्ति
चलिए
हिडिम्बा टेकरी
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पहली बारिश में गंजो के लिए खुशखबरी" ♥
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
***********************************************
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
बहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
हाथ थाम लो पल भर को तुम
जवाब देंहटाएंअधरों का कब सिलना हो
जाने कब फिर मिलना हो !
पता नहीं कल हो ना हो. बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति.
khubsurat
जवाब देंहटाएंसुन्दर सत्य कहती सुन्दर कृति.. आभार..
जवाब देंहटाएंसही कहा...अभिनय-मंच कभी खाली नहीं होता..
जवाब देंहटाएं