मन राधा बस उसे पुकारे
झलक रही नन्हें पादप में
एक चेतना एक ललक,
कहता किस अनाम प्रीतम हित
खिल जाऊँ उडाऊं महक !
पंख तौलते पवन में पाखी
यूँ ही तो नहीं हैं गाते,
जाने किस छुपे साथी को
टी वी टुट् में वे पाते !
चमक रहा चिकना सा पत्थर
मंदिर में गया जो पूजा,
जाने कौन खींच कर लाया
भाव जगे न कोई दूजा !
चला जा रहा एक बटोही
थम कर किसकी ओर निहारे,
गोविन्द राह तके है भीतर
मन राधा बस उसे पुकारे !
वाह बहुत खूब ...भक्तिमय
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
जवाब देंहटाएंBHARTIY NARI .
टी वी टुट्.....का दुबारा प्रयोग अच्छा लगा.........एक नै चेतना का उदय बहुत ही सुन्दर लगा।
जवाब देंहटाएंअस्तित्व में ईश्वर की अनुभूति कराती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ..... शायद दो बार टाइप हो गयी है ।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, आभार त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए..
हटाएंझलक रही नन्हें पादप में
जवाब देंहटाएंएक चेतना एक ललक,
कहता किस अनाम प्रीतम हित
खिल जाऊँ उडाऊं महक !
बहुत सुन्दर भाव अनीता जी .
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
अनुजी,अनुपमा जी, चतुर्वेदी जी, इमरान, देवेन्द्र जी, शिखा जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंझलक रही नन्हें पादप में
जवाब देंहटाएंएक चेतना एक ललक,
कहता किस अनाम प्रीतम हित
खिल जाऊँ उडाऊं महक !
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.
आभार रचना जी !
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