वक्त की चादर
सामने बिछी है वक्त की चादर
अपनी चाहतों के बूटे काढ़ सको
तो काढ़ लो !
क्योंकि वक्त..
मुट्ठी से रेत की तरह
फिसल जायेगा
और फिर कीमत चुकानी होगी
निज स्वप्नों से !
सुंदर, श्वेत चादर पर
रंगीन बूटे
हौसला बढ़ाएंगे दूर तक
साथ रहेगी उनकी सुघड़ता
खुशनुमा हो जाएगा सफर
रेशमी धागों की सरसराहट से !
सिमट जाये ये चादर इसके पूर्व
उकेर दो... अपनी चाहतों के
बूटे !
चाहतों के बूटे...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
बढ़िया प्रस्तुति -
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 07/089/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
यशोदा जी, बहुत बहुत आभार !
हटाएंवाह कितने सुन्दर बिम्ब हैं..... शानदार
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post: सब्सिडी बनाम टैक्स कन्सेसन !
सिमट जाये ये चादर इसके पूर्व
जवाब देंहटाएंउकेर दो... अपनी चाहतों के बूटे !
...बहुत सुन्दर और प्रेरक अभिव्यक्ति...
चादर ने तो आँखों को ही थाम लिया..आह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है यह रचना वक्त कब किसका इंतज़ार करता है जो करना है कर डालो।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बिम्ब.......
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश । वस्तुतः हमें हर दिन को नया जन्म समझना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंChahton ke boote....bahut khoob:-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंइस कविता में यथार्थ और कल्पना का अद्भुत समन्वय है. वक़्त की धीरे-धीरे सिमटती चादर और बूटे काढ़ते लोगों के बारे में सोचना मन को ख़ुशी ही देता है. कविता की सहजता के बाद भी रचना की गहराई कम नहीं होती है. बूटे काढ़ने के साथ-साथ निकालने वालों की मोजूदगी जीवन को सच के समीप लाती है. लेकिन उम्मीद की रौशनी बेहतर करने की प्रेरणा देती है.बेहतरीन.बहुत-बहुत शुक्रिया सुंदर रचना के लिए.
जवाब देंहटाएंवृजेश जी, स्वागत व आभार इस सुंदर टिप्पणी के लिए..
हटाएंआप सभी सुधी जनों का तहे दिल से आभार !
जवाब देंहटाएं