भाई दूज पर शुभ स्नेह सहित
कुछ यादें, कुछ बातें मनहर
याद दिलाये आज का पल हर
उच्च भाल पर तिलक सज रहा
नयनों में छाया वह मंजर !
‘भाई’ शब्द में घुली मिठास
हर पल बहना को है आस,
सदा सुखी हो संग भाभी के
बढ़ा करे श्रद्धा-विश्वास !
एक वाटिका के पुष्प हैं
संग-संग झेले ऋतु आघात,
संग-संग पायी ममता प्रीति
साझे थे कितने प्रभात !
बिन बोले संवाद है घटता
बचपन के साथी जो ठहरे,
जीवन क्रम में भले दूर हों
सूत्र बंधे हैं भीतर गहरे !
शुभ दिन दीपपर्व का अंतिम
इक संदेश बांटता जाता,
ज्योति प्रेम की कभी बुझे न
कण-कण सृष्टि का यह गाता !
वाह...बहुत सुन्दर....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 21 अक्टूबर 2017 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार विभा जी !
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंभाई दूज की हार्दिक शुभकामना
स्वागत व आभार कविता जी !
हटाएं