बुधवार, नवंबर 13

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया-आस्ट्रेलिया


विश्व के मानचित्र पर दक्षिणी गोलार्ध में स्थित एक अनोखा देश ऑस्ट्रेलिया, जो एक द्वीप तो है ही, महाद्वीप का भी सम्मान इसे प्राप्त है ! सदियों से न जाने कितने यात्रियों को यह विशाल प्राकृतिक बन्दरगाह अपने सौन्दर्य से आकर्षित करता रहा है. सागर किनारे बसे इसके सुंदर आधुनिकतम शहरों में मोहक समुद्र तट, म्यूजियम और राष्ट्रीय जन्तु उद्यानों के रूप में न जाने कितने दर्शनीय स्थल हैं जिन्हें देखने लोगों की एक कतार अनवरत आती रहती है. हमें भी पिछले माह इसके दो शहरों सिडनीमेलबोर्न की यात्रा का सुअवसर मिला. आस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य New South Wales का शहर सिडनी जो इस राज्य की राजधानी भी है, आस्ट्रेलिया की पहली ब्रिटिश कालोनी थी जो १७८८ में फिलिप आर्थर द्वारा बसायी गयी. यहाँ की आबादी मात्र ४५ लाख है और हर वर्ष १० मिलियन पर्यटक यहाँ आते हैं.


इक्कीस अक्तूबर को दोपहर दो बजे दिल्ली के हवाई अड्डे से हम एयर इंडिया के ड्रीम लाइनर से सिडनी के लिए रवाना हुए. आरामदेह यात्रा में फिल्मों और स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लेते हुए जब विमान सिडनी पहुंचा तो भारतीय समय के अनुसार रात्रि के दो बजे थे, किन्तु आस्ट्रेलिया में अगले दिन सुबह के साढ़े सात बजे थे, हमें नींद का अहसास हो रहा था, जीजाजी हमें लेने आये थे, घर में दीदी व उनकी बेटी प्रतीक्षारत थे. घर बहुत बड़ा था, और उसकी दो दीवारें शीशे की थीं. छठी मंजिल पर स्थित उस घर से जो सिडनी के सबर्ब में स्थित ‘राकडेल’ नामक इलाके में था, हवाई अड्डा दिखाई दे रहा था. भोजन कर कुछ देर आराम करने के बाद सिडनी की रेल यात्रा का आनन्द लेते हुए हम हार्बर ब्रिज व विश्व प्रसिद्ध ओपेरा हाउस देखने गये, जो आस्ट्रेलिया की पहचान बन चुका है तथा जिसे आज तक न जाने कितनी फिल्मों में देखा था. मौसम बादलों भरा था, हल्की हवा बह रही थी, ओपेरा हाउस की सीढ़ियों की ओर जब हम बढ़े तो नीली पोशाक पहने स्कूली छात्राओं को कतार बद्ध आते देख ठिठक गये, उनके मुस्कुराते गुलाबी चेहरे और पीछे भव्य इमारत.. एक सुंदर दृश्य को उपस्थित कर रहे थे. गुलाबी चोंच व लाल पैरों वाले सफेद सीगल चारों ओर उड़ान भर रहे थे. आस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान पूरे समय ये पक्षी हमें नजर आते रहे ये मनुष्यों से जरा भी भयभीत नहीं होते. जैसे उन्हें कोई भाव ही न देते हों. 


ओपेरा हाउस का आकार अनोखा है, नावों पर लगी पतवार के आकार का अथवा तो कमल की पंखुड़ी के आकार का, इसकी वास्तुकला का निर्माण किया था डेनिश आर्किटेक्ट jorn utzon ने, यहाँ थियेटर, नृत्य तथा संगीत के लगभग ढाई हजार समारोहों का आयोजन एक वर्ष में होता है. इसके निर्माण में चौदह वर्ष लगे तथा आरम्भ में मात्र ७ मिलियन का बजट था, अंततः १०२ मिलियन डालर का खर्च हुआ. अनुमान से कहीं ज्यादा खर्च के कारण jorn utzon ने बीच में ही प्रोजेक्ट से इस्तीफा दे दिया और इसके पूर्ण होने पर भी देखने नहीं आ पाए. हार्बर ब्रिज भी अपनी तरह का अनोखा पुल है, लोहे का बना यह विशाल पुल सिल्वर रंग से रंगा है, इसे रंगने में एक बार में ८८ हजार लीटर रंग लगता है. दुनिया का सबसे चौड़ा यह पुल ५२,८०० टन लोहे से बना है.


क्रमशः

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