काशी दर्शन
काशी नगरी
सबसे न्यारी, महादेव को है अति प्यारी
वरुणा-असी के
मध्य बसी है, काशी में बसते त्रिपुरारी
गली-गली में
मन्दिर अनुपम, पग-पग पर पूजा होती है
घाट-घाट पर
तीर्थयात्री, कल्मष नित गंगा धोती है
काशी अति पुरातन
नगरी, राजाओं की गाथा कहती
संतों का भी
प्रिय स्थल है, भक्ति की धारा यहाँ बहती
कंकर-कंकर में
काशी के, शंकर के दर्शन होते हैं
दुर्गा, काली,
अन्नपूर्णा, माँ के अनगिन रूप यहाँ हैं
गंगा माँ की
कृपा बरसती, ऐसा शुभ संयोग कहाँ है
दूध-दही, मलाई का घर, भाषा मधुर लोग प्रेमी हैं
छप्पन भोग
जहाँ लगते हों, कमी कहाँ अनुभव हो सकती
रात-रात भर
चले कीर्तन, गुंजित घाट न काशी सोती
मणिकर्णिका,
हरिश्चन्द्र भी, दो घाटों पर जलें चिताएं
जीवित तो पाते
हैं आश्रय, मृतक भी सद्गति को पायें
दिन हो या
घनघोर रात्रि, अविरत दाहकर्म चलता है,
जीवन जहाँ बना
है उत्सव, मृत्यु का मेला लगता है
गंगा की चंचल
लहरों में, पूर्ण चन्द्र के बिम्ब उभरते
दीपदान के बहते दोने, चढ़ लहरों पर जगमग करते
छोटी-बड़ी
नौकाएं शत-शत, मंथर गति से बहें नदी में
निशदिन डुबकी
लेते जिसमें, यात्री तृप्त हुए अंतर में
सन्ध्या काल
में सजे आरती, गीत, भजन, मन्त्रों का गायन
धूप, दीप,
चन्दन, अगरु की, सुगंध लिए बहती है पवन
काशी महिमा
कौन गा सके, अति गूढ़ है यहाँ की गाथा
अचरज से भर
इसे निहारें, या झुक जाये प्रेम से माथा
बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंकाशी की महिमा का बेहद अर्थपूर्ण शब्दचित्र उकेरा है आपने...लेकिन आजकल तो वहां दैत्यों का तांडव चल रहा है।
जवाब देंहटाएंjay bholenath ji kee .very very nice post .aabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों और खूबसूरत चित्रों से
जवाब देंहटाएंसजी मधुर प्रस्तुति के लिए आभार.
अब तो काशी का महत्त्व वैसे भी बढ़ा हुआ है ... मोदी जी के वजह से ...
जवाब देंहटाएंमोहक .. काशी के महत्त्व और चित्र को शब्दों से बयाँ किया है ... लाजवाब ...
पुरातन नगरी, सनातन नगरी! जय गंगे, जय काशी, जय काशी विश्वनाथ!
जवाब देंहटाएंजोशी जी, शिखा जी, राकेश जी, दिगम्बर जी, माहेश्वरी जी, व अनुराग जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, क्या कहने।
जवाब देंहटाएंआकर्षक..
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