उसने भी कर दिया इशारा
रंग हमारे हाथ लगे हैं
कैनवास है यह जग सारा,
रंगी इसे बना डालें अब
उसने भी कर दिया इशारा !
कोई गीत रचे जाता है
हम भी सुर अपने कुछ गा लें,
गूँजे स्वर्णिम स्वर लहरियाँ
उन संग आशाएं सजा लें !
रचा जा रहा पल-पल यह जग
सृजन हमारे हाथों कुछ हो,
कोई मौन सजाता निशदिन
मिलन हृदय का उससे भी हो !
बिन मांगे ही जो देता है
देख तृप्त होता है अंतर,
नजर जहाँ भी टिक जाती है
उसका ही तो दिखता मंजर !
वाह .... अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-
जवाब देंहटाएंसदा जी व रविकर जी, स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंशीश झुका कर जिसकी सत्ता सब करते स्वीकार जहाँ -
जवाब देंहटाएं-'प्रसाद'
भावपूर्ण रचना
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