जागरण
सोयी हुई देशभक्ति भी
जाग रही है दिल में सबके,
खोयी हुई आस्था जागी
मूल्यों के प्रति हर अंतर में !
तप कर सोना कुंदन बनता
जनता तप हेतु तैयार,
घण्टों पंक्ति में लगकर भी
कम न होता दिल में प्यार !
भारत नए दौर में पहुँचा
नई ऊर्जा नई लहर है,
पारदर्शिता लेन-देन में
नई चेतना डगर-डगर है !
नहीं रुकेगी यह यात्रा
अब स्वर्णिम युग की आहट है
जो न इसके संग चल रहे
उन कदमों में घबराहट है !
दुनिया देखे परिवर्तन को
देश नई करवट लेता है,
नव गति, नव उल्लास समेटे
'सत्यमेवजयते' गाता है !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर 1-12-2016 को चर्चा - 2543 में दिया जाएगा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
स्वागत व बहुत बहुत आभार !
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