नया वर्ष भर झोली आया
मन निर्भार हुआ जाता है
अंतहीन है यह विस्तार,
हंसा चला उड़ान भर रहा
खुला हुआ अनंत का द्वार !
मन श्रृंगार हुआ जाता है
नया-नया ज्यों फूल खिला हो,
पंख लगे सुरभि गा आयी
हर तितली को संदेश मिला हो !
मन उपहार हुआ जाता है
बीत गया जो भी जाने दें,
नया वर्ष भर झोली आया
खुलने दें पट नव क्षितिजों के !
मन मनुहार हुआ जाता है
रूठ गये जो उन्हें मना लें,
सांझी है यह धरा सभी की
झाँक नयन संग नगमे गा लें !
मन बलिहार हुआ जाता है
पंछी के सुर, नदिया का जल,
पलकों की कोरें लख छलकें
हरा-भरा सा भू का आंचल !
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंनए साल का स्वागत बहुत सुन्दर अंदाज में अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामना
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व बहुत बहुत आभार यशोदा जी..
जवाब देंहटाएंमालती जी, कविता जी व सुधा जी आप सभी का स्वागत व नये वर्ष के लिए शुभकामनायें..
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