नये वर्ष में गीत नया हो
राग नया हो ताल नयी हो
कदमों में झंकार नयी हो,
रुनझुन रिमझिम भी पायल की
उर में करुण पुकार नयी हो !
अभी जहाँ पाया विश्राम
बसते उससे आगे राम,
क्षितिजों तक उड़ान भर ले जो
पंख लगें उर को अभिराम !
अतल मौन से जो उपजा हो
सृजें वही मधुर संवाद,
उथले-उथले घाट नहीं अब
गहराई में पहुंचे याद !
नया ढंग अंदाज नया हो
खुल जाएँ सिमसिम से द्वार
नये वर्ष में गीत नया हो
बहता वह बनकर उपहार !
अंजुरी भर-भर बहुत पी लिया
अमृत घट वैसा का वैसा,
अब अंतर में भरना होगा
दर्पण में सूरज के जैसा !
सुंदर आशा का संचार करता नव गीत है ....
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...
स्वागत व आभार दिगम्बर जी..आपको भी नये वर्ष के लिए शुभकामनाएं !
हटाएंबहुत सुन्दर रचना। आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंस्वागत व आभार संध्या जी, आप सभी को भी नववर्ष की शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंनए साल की हार्दिक शुभकामनाएं अनीता जी। नएपन का साथ और अहसास बना रह, यह एक अच्छा वादा है नए साल के लिए।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार, सही कहा है आपने प्रकृति इतनी मोहक है क्योंकि पल पल बदल रही है, नया पन ही जीवन का प्रतीक है पर जो इसको महसूस करता है वह तो चिर प्राचीन है।
जवाब देंहटाएंSUNDAR RACHANA
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