मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (अंतिम भाग )
गेस्टहाउस के कर्मचारियों ने जो वहाँ पिछले कुछ वर्षों से रह रहे हैं
कुछ रोचक बातें बतायीं. मिजोरम में संयुक्त परिवार होते हैं. परिवार के बड़े पुत्र
को जायदाद नहीं मिलती, बल्कि सबसे छोटे पुत्र को परिवार का उत्तराधिकारी बनाया
जाता है. विवाह और तलाक के मामलों में भी चर्च का कानून ही चलता है. माता-पिता के
न रहने पर अथवा असमर्थ होने पर बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी चर्च का होता है.
क्रिसमस के अलावा मुख्य उत्सव छरपार कुट मनाया जाता है, उत्सव के लिए मिजो शब्द कुट है. यहाँ
कोई पिक्चर हॉल नहीं है. हिंदी फ़िल्में यहाँ नहीं दिखाई जातीं. टीवी पर आने वाले
धारावाहिक वे मिजो भाषा में डब करके देखते हैं. यहाँ की साक्षरता दर केरल के बाद दूसरे
नम्बर पर है. मिजो भाषा की कोई लिपि नहीं है, रोमन भाषा को ही इन्होंने अपनाया है.
यहाँ की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है. यह छात्रों का एक
संगठन मिजो यूथ असोसिअशन बहुत शक्तिशाली है. यह समाज हित के कार्य भी करता है तथा दुर्घटना आदि
होने पर आपसी सुलह भी कराता है. यहाँ किसी के घर में प्रवेश करने पर सबसे पहले रसोईघर
में प्रवेश होता है, यहीं मेहमानों को बैठाया जाता है. पीने का पानी यहाँ खरीदना
पड़ता है. अन्य कामों के लिए ये लोग वर्षा ऋतु में पानी का संग्रह कर लेते हैं, हर
घर के नीचे पानी का टैंक होता है. इसी तरह सोलर पावर का भी लगभग सभी लोग इस्तेमाल
करते हैं.
सुबह ग्यारह बजे ही हमने
वापसी की यात्रा आरम्भ की, एक दिन कोलकाता में रुकना पड़ा क्योंकि उसी दिन की असम तक की कोई उड़ान नहीं थी. अगले दिन सुबह की उड़ान से हम
मिजोरम की मधुर स्मृतियों को मन में संजोये हुए वापस घर आ गये.
सुन्दर चित्र और वर्णन
जवाब देंहटाएंसुंदर यात्रा विवरण
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