ऐसा
दीवाना है कान्हा
आँसू बनकर जो बहता है
मौन रहे पर कुछ कहता है,
किसी नाम से उसे पुकारो
उपालम्भ जो सब सहता है !
हो
अनजाना कोई उससे
तब भी वह रग-रग पहचाने,
इक दिन तो पथ पर आएगा
कब तक कोई करे बहाने!
जब तक उसकी ओर न देखो
नेह सँदेसे भेजा करता,
कभी हँसा कर कभी रुलाकर
अपनी याद दिलाया करता !
ऐसा दीवाना है कान्हा
प्रीत पाश में ऐसा जकड़े,
हाथ छुड़ा तब जाता लगता
जब कोई खुद से ही झगड़े !
अँधियारी हो रात अमावस
हीरे मोती सा वह दमके,
काली यमुना उफन रही हो
उजियारा बनकर वह चमके !
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
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