गोकुल बना महकता उर यह
टूट गए जब ताले मन के
खुलीं बेड़ियाँ मोह, अहम की,
गोकुल बना महकता उर यह
प्रकट भये श्यामा सुंदर भी !
वह चितचोर नन्द का लाला
आनँदघन हरि मुरलीवाला,
निर्मल मन नवनीत बना जब
उस घट आकर डाका डाला !
प्रेम-विरह दोनों का रसिया
अविचल भक्ति सुरस बरसाये,
नित नई चुनौती स्वीकारे
रास रचाने झट आ जाये !
अव्यक्त ब्रह्म पूर्ण व्यक्त हो
वृन्दावन के श्याम सरीखा,
चंचल, धीर, योगी व ज्ञानी
मीत कन्हैया सखा अनोखा !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
स्वागत व आभार !
हटाएंसु न्दर सृ जन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंधीर योगिराज श्री क्रोष्ण की माया का असर ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भावपूर्ण रचना ... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ....
आपको भी कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई !
हटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
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