गुरुवार, अगस्त 13

फिर कोरोना देव अवतरित

 फिर कोरोना देव अवतरित 

 

पीला पात डाल से बिछड़ा 

संग पवन के डोले  इत उत,

हम भी बिछुड़े अपने घर से 

पता खोजते गली-गली में !

 

कोई कहता काशी जाना 

काबा की भी राह दिखाता,

गंगा तट पर शिव के डेरे  

कोई महामंत्र ही फेरे !

 

द्वारे -द्वारे भटक रहे थे 

 हुए बंद मंदिर व शिवालय, 

फिर कोरोना देव अवतरित 

बैठे हैं सब घर में कंपित !

 

घर से बिछुड़े घर लौटे हैं 

प्रेम का पाठ सिखायेगा, 

इसकी दीवारों को सजा लें 

घर को ही अब स्वर्ग बना लें !


12 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार(14-08-2020) को "ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो" (चर्चा अंक-3793) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
  2. जी ... आज का समय तो यही कहता है घर की मन्दिर, घर ही सब कुछ ... शायद ये भी इश्वर की मर्जी है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ईश्वर की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता

      हटाएं
  3. सारे देव दर्शन करा लिए घर बैठे-बैठे कोरोना ने
    बहुत सही

    जवाब देंहटाएं
  4. घर का मंदिर छोड़ बाकी सारे मंदिर पूजे जाते थे,असली मंदिर का दर्शन कोरोना ने करा दिया,सुंदर सृजन,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं