जीवन क्या है ?
स्थूल से सूक्ष्म तक जाने की यात्रा
अथवा ज्ञात से अज्ञात को
दृश्य से अदृश्य को पकड़ने की चाह
रूप के पीछे अरूप
ध्वनि के पीछे मौन को जानने का प्रयास !
या पीड़ा के पीछे आनंद
सुख के पीछे दुख
संयोग के पीछे वियोग
शिखर के साथ खाई
गगन के साथ सागर की अतल गहराई में उठना और गिरना ?
अथवा
अधर में लटकते ग्रह-नक्षत्र और पृथ्वी को देख
जानना यह सत्य
कहाँ गहराई कौन सी ऊँचाई
कौन आगे कौन पीछे
सब कुछ वृत्ताकार है जहाँ
न आदि न अंत
घड़ी भर पहले जो सुख था अब दुःख है
एक में दूसरा छिपा है साथ-साथ
सब कुछ मात्र है
जाने कब से और रहेगा जाने कब तक
सम्भवतः यही जीवन है !
घड़ी भर पहले जो सुख था अब दुःख है
जवाब देंहटाएंएक में दूसरा छिपा है साथ-साथ
सब कुछ मात्र है
जाने कब से और रहेगा जाने कब तक
सम्भवतः यही जीवन है ! प्रभावशाली लेखन, मुग्ध करती रचना।
स्वागत व आभार !
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२६-११-२०२०) को 'देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी'(चर्चा अंक- ३८९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार !
हटाएंवाह!बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंजीवन की सुंदर व्याख्या।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंस्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंसनातन सच्चाई
जवाब देंहटाएंजीवन की सुन्दर परिभाषा।
जवाब देंहटाएंसब कुछ वृत्ताकार है जहाँ
जवाब देंहटाएंन आदि न अंत...।मानव जीवन को परिभाषित करती सुंदर कृति...।
आप सभी का आभार !
जवाब देंहटाएंअनुपम ।
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