तुम यदि
तुम यदि बन जाओ सूत्रधार
तो सँवर ही जायेगा जीवन का हर क्षण
मुस्कान झरेगी जैसे झरते हैं फूल शेफाली के
अनायास ही
हवा के हल्के से झोंके की छुअन से
या सूरज की पहली किरण आकर जगाती है
तो हो जाते हैं समर्पित अस्तित्त्व को सहज ही !
तुम यदि बनो जीवन आधार
तो निखर ही जायेगा उर आंगन
जहां प्रीत के पंछी प्रातः जागरण के गीत गाएंगे
और उल्लास के पादप लहलहायेंगे
जिनकी सुवास आप्लावित कर देगी हर कोना !
तुम यदि बन सको पुकार उसकी
तो उबर ही जायेगा अंतर अतीत के जंगल से
झर जाएगी हर आशंका भी भावी की
चल पड़ेंगे अजस्र शक्ति भरे कदम
पीड़ा आज की हरने जग में !
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंउपयोगी और प्रेरक सृजन।
जवाब देंहटाएंइश्वर की शक्ति जब आएगी तो हर पीड़ा हर लेती है ... सुन्दर भावात्मन रचना ...
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