दिल्ली
देश की राजधानी बनने की
बड़ी ही भारी कीमत चुकाई है अतीत में भी
अनेकों बार दिल्ली ने !
एक बार फिर सुबह की शांत दिल्ली
दोपहर को बदल गई
जैसे एक युद्ध क्षेत्र में !
लालकिले पर नृशंसता से चढ़ती हुई भीड़
और हथियारों का प्रदर्शन खुलेआम !
जैसे कोई दुश्मन सेना चढ़ आयी हो
निरंकुश बेलगाम !
क्या अपने ही देश में !
राष्ट्रीय पर्व पर
शोभा देता है अकल्पनीय यह व्यवहार
जिसमें नागरिक व पुलिस
हुए दोनों ही घातक हिंसा के शिकार !
भारत आगे बढ़ता है तो
कुछ लोग अनुभव करते हैं हीनता का
परेड में जिस देश की छवि दिखी
है वह उन्नति के शिखर पर चढ़ता हुआ
जिन लोगों ने यह निंदनीय कार्य किया है
चाहते हैं भारत की विमल छवि बिगाड़ दें,
ऐसा हो उससे पूर्व ही
चलो हम इसे रक्षा कवच बाँध दें !
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 27 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंसटीक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
समसामयिक एवं सत्य का विश्लेषण करती हुई पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुन्दर और सामयिक सृजन।
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