वह
खुदा बनकर वह सदा साथ निभाता है
मेरा हमदम हर एक काम बनाता है
जिंदगी फूल सी महका करे दिन-रात
कितनी तरकीब से सामान जुटाता है
न कमी रहे न कोई कामना अधूरी
बिन कहे राह से हर विरोध हटाता है
किस तरह करें शुक्रिया ! कैसे जताएं ?
कुछ किया ही नहीं काम यूँ कर जाता है
दिल मान लेता जिस पल आभार उसका
वह निज भार कहीं और रख के आता है
कौन है सिवाय उसके या रब ! ये बता
वही भीतर वही बाहर नजर आता है