आने वाला है महिला दिवस
मात्र नारी शक्ति का प्रतीक नहीं है
बल्कि याद दिलाता है यह दिवस कि
अभी भी हो रहे हैं उनपर अत्याचार
इक्कसवीं सदी में भी हो रहा है आए दिन ही
उनके साथ दुर्व्यवहार
अखबार के पन्नों पर तो कुछ ही खबरें आ पाती हैं
मगर उन खबरों की हकीकत भीतर तक डरा जाती है
महिलायें क्या-क्या कर रही हैं
यह तो जग जाहिर है
मात्र उसे न दोहराएं
बल्कि एक वंचित नारी के अधिकारों को याद कराएं !
आज के दिन प्रशंसा सुनकर अपनी
स्वयं की पीठ न थपथपायें
जो महिलायें अभी भी कुचली जाती हैं
उनके दर्द को भी बाहर लाएं !
महिला दिवस कोई उपलब्धि नहीं है नारी के लिए
एक चुनौती है
नन्ही बच्चियों से लेकर बुजुर्ग माताएं तक
होती हैं जहाँ हिंसा व अपमान का शिकार
हर उस बात को बाहर लाना है
समाज को आईना दिखाना है !
जायदाद में अधिकार से वंचित रखा गया
सदियों तक महिलाओं को
नहीं था वोट देने का अधिकार
न ही शिक्षा का
योगदान का जिक्र कहाँ होता है उस अनाम स्त्री के
जो हर बार मिलती रही है एक सफल पुरुष के पीछे
इस महिला दिवस पर यही मनाएं कि
हर वर्ग की स्त्री समानता का अधिकार पाए !
बहुत ही सार्थक सारगर्भित संदेशों से युक्त रचना..
जवाब देंहटाएंकाश , ऐसा हो सके । हर दिवस बस एक बाजार के लिए बन कर रह गया है ।औचित्य पर किसी का ध्यान नहीं । बहुत सार्थक पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी, जोशी जी, संगीत जी व ओंकार जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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