भीतर रस का स्रोत बहेगा
छा जाएं जब भी बाधाएं
श्रद्धा का इक दीप जला लें,
दुर्गम पथ भी सरल बनेगा
जिसके कोमल उजियाले में !
एक ज्योति विश्वास की अटल
अंतर्मन में रहे प्रज्ज्वलित,
जीवन पथ को उजियारा कर
कटे यात्रा होकर प्रमुदित !
कोई साथ सदा है अपने
भाव यदि यही प्रबल रहेगा,
दुख-पीड़ा के गहन क्षणों में
भीतर रस का स्रोत बहेगा !
श्रद्धालु ही स्वयं को जाने
कैसे उससे डोर बँधी है,
भटक रहा था अंधकार में
अब भीतर रोशनी घटी है !
जिसने भी यह सृष्टि रचाई
दिल का इससे क्या है नाता,
एक भरोसा, एक आसरा
जीवन में अद्भुत बल भरता !
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29 -5-21) को "वो सुबह कभी तो आएगी..."(4080) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
एक भरोसा, एक आसरा
जवाब देंहटाएंजीवन में अद्भुत बल भरता !
सच, उसी आसरे की डोर थामे चलते चले जा रहे हैं। एक अदृश्य शक्ति कहती है, घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूँ।
जिसने भी यह सृष्टि रचाई
जवाब देंहटाएंदिल का इससे क्या है नाता,
एक भरोसा, एक आसरा
जीवन में अद्भुत बल भरता ! प्रभावी रचना।
बहुत सुंदर भीतर रस का स्रोत बहेगा
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना है , सुंदर शब्दों का चयन सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंजीवन में उस अदृश्य सहारे की बहुत जरूरत है,को जीवन नैया को पार लगता है,और जो आत्मा में विराजमान है, सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंकोई साथ सदा है अपने
जवाब देंहटाएंभाव यदि यही प्रबल रहेगा,
दुख-पीड़ा के गहन क्षणों में
भीतर रस का स्रोत बहेगा !
वाह...बहुत सुन्दर भाव💕
बहुत सुन्दर ... श्रद्धा हो मन में तो स्विकारिता वैसे ही बढ़ जाती है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ...
अति उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी, उषा जी, दिगम्बर जी व अनिता जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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