एकांत और अकेलापन
अकेलापन खलता है
एकांत में अंतरदीप जलता है
अकेलेपन के शिकार होते हैं मानव
एकांत कृपा की तरह बरसता है !
जब भीड़ में भी अकेलापन सताए
तब जानना वह एकांत की आहट है
जब दुनिया का शोरगुल व्याकुल करे
तब मानो एकांत घटने की घबराहट है !
अकेलापन दूजे की चाहत से उपजता है
एकांत हर चाहत को गिरा देने का नाम है
जब भीतर सन्नाटा हो इतना
कि दिल की धड़कन सुनायी दे
जब श्वासों में अनाम गूंजने लगे
तब उस एकांत में एक मिलन घटता है
मिटा देता है अकेलेपन का हर दंश जो सदा के लिए
उसी मिलन का आकांक्षी है हर मन
जो अकेलेपन में वह खोजता है
यही अकेलापन बदल जाएगा एकांत में एक दिन
और अपनेआप से मुलाक़ात होगी
फिर तो दिन-रात कोई साए की तरह साथ रहेगा
जब चाहा उससे बात होगी !
बहुत सुंदरता से आपने अकेलेपन और एकांत के अंतर को स्पष्ट किया ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
स्वागत व आभार संगीता जी!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३१-०७-२०२१) को
'नभ तेरे हिय की जाने कौन'(चर्चा अंक- ४१४२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत आभार !
हटाएंयह अभिव्यक्ति सरल भी है तथा एक भिन्न कोण से देखे जाने पर गूढ़ भी। इसे एक जीवन-दर्शन की भांति देखा जाए तो बहुत उपयोगी है। एकांत ही आत्मालोवकन का एवं तदनुरूप आत्म-सुधार का अवसर प्रदान करता है। आभार एवं अभिनंदन आपका।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए स्वागत व आभार जितेंद्र जी !
हटाएंअकेलापन और एकांत ...देखने और कहने में एक हैं लेकिन दोनों का अन्र बड़ी खूबसूरती से दर्शाया है आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब सृजन।
स्वागत व आभार सुधा जी !
हटाएंजो अकेलेपन में वह खोजता है
जवाब देंहटाएंयही अकेलापन बदल जाएगा एकांत में एक दिन
और अपनेआप से मुलाक़ात होगी
फिर तो दिन-रात कोई साए की तरह साथ रहेगा
जब चाहा उससे बात होगी ! बहुत ही अच्छी रचना है आपकी...। खूब बधाई
स्वागत व आभार!
हटाएंएकांत साधने वाले को लख-लख बलिहारी जो इतनी सुन्दरता एवं सरलता से समझ उपलब्ध करा रहा है । शब्द कम पड़ जते हैं कुछ कहते हुए ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अमृता जी, शुभकामनाएँ!
हटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंजब भीतर सन्नाटा हो इतना
जवाब देंहटाएंकि दिल की धड़कन सुनायी दे
-बहुत सुन्दर पंक्तियाँ... अद्भुत रचना!
बहुत ख़ूबसूरती से एकाकीपन की ग्रंथियों को आपने खोला है, मुग्धता बिखेरती रचना - - साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार!
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