शुक्रवार, नवंबर 5

रहें सदा दिल मिले हमारे

रहें सदा दिल मिले हमारे

ज्योति जले ज्यों हर घर-बाहर 

गलियाँ , सड़कें, छत, चौबारे, 

मन में प्रज्ज्वलित स्नेह प्रकाश 

रहें सदा दिल मिले हमारे !

 

घर-आँगन ज्यों स्वच्छ दमकते 

कोना-कोना हुआ उजागर, 

रिश्तों की यह मधुरिम डाली 

निर्मल भावों से हो भासित !

 

सुस्वादु पकवानों की जहाँ 

मीठी-मीठी गंध लुभाती, 

आत्मीयता, अपनेपन की 

धारा अविरल बहे सुहाती !

 

दीवाली का पर्व अनोखा 

दीप, मिठाई, फुलझड़ियों का, 

ले आता है पीछे-पीछे 

सुखद उत्सव भाई दूज का !

 

तिलक भाल पर हँसी अधर पर 

यह भंगिमा बहन को भाए, 

दुआ सदा यह दिल से निकले

सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य सदा पाएँ !


11 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-११-२०२१) को
    'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक -४२३९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. वाह क्या बात है!
    सुंदर प्रस्तुति।

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  3. जितने सुंदर भाव उतनी ही सुंदर रचना

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  4. बहुत सुंदर भाव दीपावली का शब्द चित्र।
    हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. दीपावली को हार्दिक शुभकामनायें ...

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