रहें सदा दिल मिले हमारे
ज्योति जले ज्यों हर घर-बाहर
गलियाँ , सड़कें, छत, चौबारे,
मन में प्रज्ज्वलित स्नेह प्रकाश
रहें सदा दिल मिले हमारे !
घर-आँगन ज्यों स्वच्छ दमकते
कोना-कोना हुआ उजागर,
रिश्तों की यह मधुरिम डाली
निर्मल भावों से हो भासित !
सुस्वादु पकवानों की जहाँ
मीठी-मीठी गंध लुभाती,
आत्मीयता, अपनेपन की
धारा अविरल बहे सुहाती !
दीवाली का पर्व अनोखा
दीप, मिठाई, फुलझड़ियों का,
ले आता है पीछे-पीछे
सुखद उत्सव भाई दूज का !
तिलक भाल पर हँसी अधर पर
यह भंगिमा बहन को भाए,
दुआ सदा यह दिल से निकले
सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य सदा पाएँ !
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-११-२०२१) को
'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक -४२३९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत आभार !
हटाएंवाह क्या बात है!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
स्वागत व आभार !
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंजितने सुंदर भाव उतनी ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार मनीषा जी!
हटाएंबहुत सुंदर भाव दीपावली का शब्द चित्र।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं।
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ!
हटाएंदीपावली को हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएं